Chanakya Niti: बुरे वक्त में इन तीन बातों का रखें ध्यान, नहीं कर पाएगा कोई बाल भी बांका
Chanakya Niti: हर इंसान चाहता है कि उसकी खुशहाल जिंदगी में कभी दुख के बादल ने मंडराई लेकिन विधि का विधान है सुख है तो दुख भी जरूर आएगा यह हम पर निर्भर करता है कि हम सुख में कैसे बर्ताव करते हैं और दुख के समय कैसी प्रस्तुति में और किस तरह सामना करते हैं.
आचार्य चाणक्य ने संकट के समय कैसा व्यवहार करना चाहिए इस पर कई बातें बातें बताई है जिनका पालन करने वाले मुसीबत के वक्त कभी घबराते नहीं है बल्कि हंसी-खुशी इस दुख की घड़ी को जेल जाते हैं और सुखी पलों का आनंद उठाते हैं आइए जानते हैं मुश्किल घड़ी में कैसे बर्ताव करना चाहिए.
संकट की घड़ी में उचित सलाह ज्ञान अनुभव और हौसले से ही आपकी ताकत बनते हैं विपरीत हालातों में इन चीजों को कभी नजरअंदाज ना करें संकट आने पर मन मस्तिष्क को विचलित ना होने दें विचलित दिमाग कभी सही निर्णय नहीं लेता किसी भी छोटी या बड़ी लड़ाई में बल के साथ बुद्धि का प्रयोग किया जाए तो उसमें जीत की संभावना 100% हो जाती है नकारात्मक सोच को हावी न होने दें संकट में कई लोग आपको नीचे दिखाना चाहेंगे साथ होकर भी मन में बुरे विचार पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए और संगति दूर रहे.
ज्यादा के किसी भी संकट से उबरने के लिए हिम्मत और एकता बहुत जरूरी है अगर आप संकटकाल में अहम का भाव रखेंगे तो हारना निश्चित है एक अकेला व्यक्ति अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ सकता है लेकिन जब परिवार या समाज की हो तो इसमें एक दूसरे का पक्ष जानना हो तो दूसरों के साथ लेकर चलने की संभावना होनी जरूरी है तभी सफलता मिलती है अगर कोई तीसरा व्यक्ति बाल भी बांका नहीं कर पाता ऐसे समय में सबसे जरूरी है कि एक दूसरे की कमी ना निकाले.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुझे बस के समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी होती है क्योंकि संकटकाल में व्यक्ति के पास सीमित अवसर होते हैं और चुनौती बड़ी होती है ऐसे में जरा सी चूक बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए पहले से सावधान रहना बहुत जरूरी है.